मुजफ्फरनगर। कीर्तन भवन नई मंडी में चल रही भागवत कथा में पूज्य श्री गंगोत्री तिवारी मृदुल महाराज ने कृष्ण जन्मोत्सव के पावन प्रसंग को श्रवण कराकर मंत्रमुग्ध कर दिया। व्यास जी ने कहा की जब जब संसार में धर्म की हानि होती है पृथ्वी पर अत्याचार अनाचार बढ़ता है तब तब भगवान किसी न किसी रूप में धरती पर अवतरित होते है पापियो का विनाश कर धर्म का परचम लहराते है। व्यास जी ने कहा की सतयुग में हिरण्या कस्यप का संहार करने के लिए नृसिंह का रूप धारण किया व त्रेता में रावण का वध करने के लिए राम का तथा द्वापर में कंस के वध के लिए कृष्ण रूप धारण कर भगवान अवतरित हुए असत्य का समापन कर सत्य का परचम लहराया व्यास जी ने अजामिल उपाख्यान सुनाकर भगवान के नाम की महिमा को समझाया कि भगवान का नाम चाहे जाने में चाहे अनजाने में ले वो शुभदायक व फल प्रदायक ही होता है कथा में कृष्ण जन्म के अवसर पर खूब खुशियां मनाई गया सभी श्रद्धालु पीत वस्त्र में आए थे तथा पूरा पंडाल गुबारो आदि से सजाकर सुसज्जित किया गया था इस अवसर पर मोहन लाल मित्तल ममता मित्तल मयंक मित्तल आरती मित्तल ने पूजन कराया तथा विनोद सिंगल पवन सिंगल अमरीश गोयल सीताराम वर्मा एडवोकेट अनिल गर्ग सीमा गोयल अर्चना शर्मा पूनम ठाकुर समेत बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित हुए।
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Sunday, March 31, 2024
Saturday, March 16, 2024
श्री मद्भागवत कथा के छठे दिन की शुरुआत भगवान श्री कृष्ण के भजनों से हुई।
मुजफ्फरनगर। तुलसी मानस मंदिर, सत्संग भवन शामली रोड मुजफ्फरनगर में सात दिवसीय श्री मद्भागवत कथा के छठे दिन की शुरुआत भगवान श्री कृष्ण के भजनों से हुई । श्री वृंदावन से पधारे कथा व्यास आचार्य धर्मेन्द्र उपाध्याय जी महाराज ने छठे दिन भगवान श्री कृष्ण विवाह से संबंधित प्रसंग सुनाया।आचार्य धर्मेन्द्र उपाध्याय ने बताया कि महारास में पांच अध्याय हैं। उनमें गाए जाने वाले पंच गीत भागवत के पंच प्राण हैं। जो भी ठाकुरजी के इन पांच गीतों को भाव से गाता है, वह भव पार हो जाता है। उन्हें वृंदावन की भक्ति सहज प्राप्त हो जाती है। कथा में भगवान श्रीकृष्ण का मथुरा प्रस्थान, कंस का वध, महर्षि संदीपनी के आश्रम में विद्या ग्रहण करना, कालयवन का वध, उधव-गोपी संवाद, उधव द्वारा गोपियों को अपना गुरु बनाना, द्वारका की स्थापना व रुक्मणी विवाह के प्रसंग का संगीतमय भावपूर्ण पाठ किया गया। भारी संख्या में भक्तगण दर्शन के लिए शामिल हुए। रविवार को पूरा प्रांगण श्रद्धालुओं से पूर्णरूपेण भरा था और सभी पुष्प वर्षा के साथ खूब झूम और नाच कर रहे थे।
कथा के दौरान आचार्य धर्मेंद्र उपाध्याय ने कहा कि महारास में भगवान श्रीकृष्ण ने बांसुरी बजाकर गोपियों का आह्वान किया। महारास लीला द्वारा ही जीवात्मा-परमात्मा का मिलन हुआ। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने 16 हजार कन्याओं से विवाह कर उनके साथ सुखमय जीवन बिताया। जो भक्त प्रेमी श्रीकृष्ण-रुक्मणके विवाह उत्सव में शामिल होते हैं, उनकी वैवाहिक समस्या हमेशा के लिए समाप्त हो जाती है। इस अवसर पर काफी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ मौजूद थी। कथा में राधे राधे परिवार के अनुज चौधरी, दिनेश बंसल, सुशील शर्मा, तेजबीर, उपेन्द्र, दिपेंद्र मलिक आदि ने सभी श्रद्धालुओ का कथा में पधारने के लिए धन्यवाद किया।
शरद शर्मा
समाचार सम्पादक
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