Tuesday, May 27, 2025

सेवा, संकल्प और सरोकार के प्रतीक: श्री पी.वी. रामा शास्त्री को सम्मानपूर्ण विदाई

कुछ लोग पद से बड़े होते हैं, और कुछ अपने पद को बड़ा बना देते हैं। उत्तर प्रदेश की जेल व्यवस्था के वर्तमान महानिदेशक श्री पी.वी. रामा शास्त्री उन बिरले अफसरों में से हैं, जिन्होंने अपने कार्य, दृष्टिकोण और ईमानदारी से प्रशासनिक सेवाओं को गौरव प्रदान किया है। उनके रिटायरमेंट के इस अवसर पर हम न केवल एक सक्षम अधिकारी को विदाई दे रहे हैं, बल्कि एक संकल्पित, दूरदर्शी और मानवीय सोच वाले नेतृत्व को भी सैल्यूट कर रहे हैं।
हाल ही में मुजफ्फरनगर आगमन के दौरान और पूर्व में लखनऊ में श्री शास्त्री जी से मेरी मुलाक़ात हुई। बातचीत के कुछ ही पलों में यह साफ़ हो गया कि वे केवल एक वरिष्ठ अधिकारी नहीं, बल्कि एक ऐसे इंसान हैं जिनमें गहरी संवेदनशीलता, स्पष्ट दृष्टि और देशभक्ति की सच्ची भावना बसी हुई है। उनके विचारों में स्पष्टता थी, दृष्टिकोण में संतुलन था और सबसे महत्वपूर्ण  दिल में लोगों के लिए सच्ची चिंता थी।
वो मुलाकातें भले ही औपचारिक थी, लेकिन उसका असर गहराई तक गया। मैंने एक ऐसे अधिकारी को सामने देखा, जो अपने पद के वजन से नहीं, बल्कि अपने कर्मों से ऊँचा था।
उत्तर प्रदेश की जेलों में सुधार कोई आसान कार्य नहीं था। यह व्यवस्था वर्षों से जड़ता, उपेक्षा और असंवेदनशीलता की शिकार रही थी। लेकिन श्री शास्त्री जी ने जैसे इसे नई ऊर्जा, नई सोच और नए मूल्यों से सींचा। उनके नेतृत्व में जेलें मात्र सजा की जगह नहीं, बल्कि सुधार, पुनर्वास और पुनर्निर्माण के केंद्र बनीं।
उन्होंने तकनीक का उपयोग कर जेलों में पारदर्शिता लाई, कैदियों के लिए शिक्षा, कौशल विकास, योग और मानसिक स्वास्थ्य जैसे कार्यक्रमों को प्राथमिकता दी। उन्होंने यह साबित कर दिखाया कि दंड प्रणाली में भी दया और विकास की गुंजाइश होती है।
उनकी छवि हमेशा एक कड़क लेकिन निष्पक्ष अधिकारी की रही। वे अनुशासन के मामले में किसी समझौते के पक्षधर नहीं थे, पर साथ ही वे हर फैसले में इंसानियत को पहले रखते थे। यही संतुलन उन्हें आम अफसरों से अलग बनाता है। उनकी बेदाग छवि, ईमानदारी, और कर्तव्यनिष्ठा ने उन्हें न केवल कर्मचारियों का, बल्कि उच्चाधिकारियों और जनता का भी गहरा सम्मान दिलाया।
उनके कार्यकाल की उपलब्धियाँ केवल काग़ज़ों में नहीं, बल्कि जमीन पर दिखाई दीं। राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर उन्हें अनेक पुरस्कार व सम्मान प्राप्त हुए। पर इन सबसे बड़ी उपलब्धि शायद यह रही कि उन्होंने एक नई सोच को जन्म दिया , कि जेलें केवल सजा की जगह नहीं, समाज के पुनर्निर्माण का अवसर भी हो सकती हैं।

तीस मई को जब वे सेवानिवृत्त हो रहे हैं, तब हम सबके मन में एक ही भावना है  सम्मान, आभार और शुभकामनाएं। वे प्रशासनिक व्यवस्था के उन स्तंभों में से एक हैं, जिन पर भरोसा किया जा सकता है। वे उन अफसरों में हैं जिनकी उपस्थिति ही पूरे महकमे को दिशा देती है।
निजी रूप से, मैं स्वयं को सौभाग्यशाली मानता हूँ कि मुझे उनसे मिलने और संवाद करने का अवसर मिला। वह मुलाकातें हमेशा प्रेरणा देती रहेगी कि प्रशासनिक सेवा केवल आदेश देना नहीं, बल्कि सेवा करना भी है ईमानदारी से, संवेदनशीलता से, और जिम्मेदारी से।
श्री पी.वी. रामा शास्त्री जी, आपकी सेवाएं हमेशा प्रेरणा का स्रोत रहेंगी। आपके जीवन का अगला अध्याय भी उतना ही समृद्ध, शांत और संतोषदायक हो , यही मेरी हार्दिक शुभकामनाएं हैं। आपके जैसा अधिकारी किसी भी प्रशासन की पूँजी होता है। आप भले ही पद से सेवानिवृत्त हों, पर आपके विचार, कार्य और मूल्य हमेशा जीवित रहेंगे , आने वाली पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शक बनकर।
*नादिर राणा लेखक एवं सामाजिक कार्यकर्ता मुजफ्फरनगर।*

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