*खालापार कोतवाली की शांति का प्रहरी और अपराधियों पर प्रहार। 💫प्रभारी महावीर सिंह चौहान।*💫
*एक साल की बेहतरीन पुलिसिंग का प्रेरणादायक उदाहरण
मुजफ्फरनगर के खालापार क्षेत्र में जब से कोतवाली प्रभारी महावीर सिंह ने कमान संभाली है, तब से यहां कानून-व्यवस्था की तस्वीर ही बदल गई है। अपराधों पर लगाम, जनता की सुनवाई और सौम्य नेतृत्व,इन तीन आधारों पर महावीर सिंह ने अपनी पहचान स्थापित की है। खालापार कोतवाली में उनके एक साल का कार्यकाल अब एक प्रेरणादायक मिसाल बन चुका है, जिसकी चर्चा आम जन से लेकर प्रशासनिक गलियारों तक में हो रही है।
पिछले एक वर्ष में खालापार क्षेत्र में न कोई हत्या हुई, न ही कोई लूट या डकैती जैसी गंभीर वारदात। साथ ही चौदह अलग अलग मुठभेड़ों में बदमाशों को सबक सिखाकर कानून की ताकत का अहसास कराया तथा कहीं भी लायन आर्डर की दिक्कत नहीं हुई, कहीं भी क्षेत्र में कोई सनसनीखेज घटना घटित नहीं हुई तथा यूनियन एवं संगठनों के धरने प्रदर्शन से भी यह कोतवाली दूर रही, यह कोई संयोग नहीं, बल्कि एक दूरदर्शी और सतर्क पुलिसिंग की सीधी परिणति है। महावीर सिंह ने न केवल क्षेत्र को अपराधमुक्त बनाए रखा, बल्कि लोगों के भीतर पुलिस के प्रति भय के बजाय विश्वास का वातावरण तैयार किया।
उनकी नीति स्पष्ट रही,"जनसुनवाई में संवेदनशीलता और अपराध के प्रति सख्ती।" यही वजह है कि खालापार में हर वर्ग का नागरिक उन्हें सम्मान की दृष्टि से देखता है।
महावीर सिंह को जानने वाले उन्हें एक सौम्य, शालीन और शांत व्यक्तित्व के रूप में याद करते हैं। वो कभी ऊँची आवाज़ में बात नहीं करते, लेकिन अपराधियों के सामने उनका रवैया बदल जाता है,वो बन जाते हैं कठोर निर्णय लेने वाले, न्यायप्रिय अधिकारी। यही संतुलन उन्हें अन्य से अलग बनाता है।
वे ना केवल सख़्ती से अपराध को रोकते हैं, बल्कि समाज को जोड़ने और बेहतर संवाद के लिए सामाजिक समरसता का वातावरण भी बनाते हैं।
महावीर सिंह पहले शहर कोतवाली के प्रभारी रहे, जहाँ उन्होंने करीब डेढ़ साल तक बेहतरीन सेवाएं दीं। शहर कोतवाली का जब प्रशासनिक विभाजन हुआ और खालापार कोतवाली का गठन हुआ, तो इस नयी कोतवाली की कमान महावीर सिंह को सौंपकर यह भरोसा जताया कि वे इस चुनौती को भी बखूबी निभाएंगे ,और उन्होंने पूरे विश्वास के साथ इसे सिद्ध कर दिखाया।
महावीर सिंह का कार्यालय सिर्फ शिकायतों की जगह नहीं है, बल्कि संवेदना और समाधान का केंद्र है। वे खुद थाने में मौजूद रहते हैं, फरियादियों की बातें सुनते हैं, उन्हें समझते हैं और त्वरित कार्यवाही करते हैं। यही वजह है कि आज खालापार में लोग बिना झिझक के पुलिस से संपर्क करते हैं।
आज जब पुलिस व्यवस्था को लेकर समाज में मिश्रित धारणाएँ हैं, ऐसे समय में महावीर सिंह जैसे थाना प्रभारी उम्मीद की किरण बनकर उभरते हैं। उन्होंने यह साबित किया कि यदि नीयत साफ हो, दृष्टिकोण संतुलित हो और कार्यशैली पारदर्शी हो तो हर थाने को शांति, सुरक्षा और विश्वास का प्रतीक बनाया जा सकता है।
प्रभारी महावीर सिंह सिर्फ एक पुलिस अधिकारी नहीं हैं, बल्कि वे न्याय, सेवा और नेतृत्व के जीवंत प्रतीक हैं। खालापार कोतवाली में उनका एक वर्ष न केवल अपराध नियंत्रण की दृष्टि से, बल्कि जनसेवा और मानवीय संवेदना के लिहाज़ से भी ऐतिहासिक रहा है। उन्होंने अपने पुलिस कप्तान और उच्चाधिकारियों के कुशल मार्गदर्शन में काम करते हुए अलग पहचान कायम की है और अपने अधिकारियों के भरोसे को बनाकर रखा है।
यह लेख उन सभी थाना प्रभारियों को समर्पित है, जो बिना प्रचार, बिना शोर,बस अपने कर्तव्य का बखूबी ईमानदारी से पालन कर रहे हैं।
*नादिर राणा लेखक एवं स्वतंत्र पत्रकार मुजफ्फरनगर।*
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